देते रहिए दिल को,
इश्क़ की बौछारें...
ताज़गी बनी रहती है
ता-उम्र ज़िंदगी में...!
❤️🥰
अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी आँख में आँसू,
अभी छेड़ी कहाँ है दास्तान-ए-ज़िंदगी मैंने।
मेरे बस में नहीं वरना कुदरत का लिखा हुआ काटता
तेरे हिस्से में आए बुरे दिन कोई दूसरा काटता
लारियों से ज्यादा बहाव था तेरे हर इक लफ्ज़ में
मैं इशारा नहीं काट सकता तेरी बात क्या काटता
मैंने भी ज़िंदगी और शब ए हिज़्र काटी है सबकी तरह
वैसे बेहतर तो ये था के मैं कम से कम कुछ नया काटता
तेरे होते हुए मोमबत्ती बुझाई किसी और ने
क्या ख़ुशी रह गयी थी जन्मदिन की, मैं केक क्या काटता
कोई भी तो नहीं जो मेरे भूखे रहने पे नाराज़ हो
जेल में तेरी तस्वीर होती तो हंसकर सज़ा काटता
मोहबत को जो निभाते हैं
उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं
उनको हमारा ये पैगाम हैं,
“वादा-ए-वफ़ा करो तो
फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए
किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”
जो हैरान है मेरे सब्र पर उनसे कह दो,
जो आंसू जमीन पर नहीं गिरते दिल चीर जाते है!!
LOVE SHAYARI
रेत को हवा का सहारा चाहिए।
कश्ती को दरिया का किनारा चाहिए।
मुझे ना मंजिल चाहिए ना मकांं चाहिए ।
ऐ दोस्त मुझे तो बस साथ तुम्हारा चाहिए।
LOVE SHAYARI
😍😍
झूठी खुमारी क्यों करना यारो।
जुबां खारी क्यों करना यारो।।
अपनो के बीच में भी शातिर-
कलाकारी क्यों करना यारो।
एक सफ़र है,एक ही मंज़िल-
मारा मारी क्यों करना यारो।
याद कर एक काले दिन को-
रात कारी क्यों करना यारो।
रख के बोझ हल्के लोगों का-
दिल भारी क्यों करना यारो।
जिससे बिगड़ जाये ये अमन-
बयां जारी क्यों करना यारो।
ज़रूरी है कुछ छुपाना ‘शिवम्’-
बात सारी क्यों करना यारो।
बेशक थोड़ा इंतज़ार मिला हमको
पर दुनियां का सबसे हसीं यार
मिला हमको...
न रही तमन्ना अब किसी जन्नत की
आपकी दोस्ती में वो प्यार मिला हमको...!
यह मोह पास से, स्वयं को
पहले मुक्त करना पड़ता है
पहले प्रेम पर, विश्वास था
अब सिद्ध करना पड़ता है
LOVE SHAYARI
इतनी मुद्दत बाद मिले हो!
किन सोचों में ग़ुम रहते हो?
इतने खाईफ़ क्यों रहते हो?
हर आहट से डर जाते हो
तेज़ हवा ने मुझ से पुछा
रेत पे क्या लिखते रहते हो?
काश कोई हमसे भी पूछे
रात गए तक क्यों जागे हो?
मैं दरिया से भी डरता हूँ
तुम दरिया से भी गहरे हो!
कौन सी बात है तुम में ऐसी
इतने अच्छे क्यों लगते हो?
पीछे मुड़ कर क्यों देखा था
पत्थर बन कर क्या तकते हो?
जाओ जीत का जश्न मनाओ!
में झूठा हूँ, तुम सच्चे हो
अपने शहर के सब लोगों से
मेरी खातिर क्यों उलझे हो?
कहने को रहते हो दिल में!
फिर भी कितने दूर खड़े हो
रात हमें कुछ याद नहीं था
रात बहुत ही याद आये हो
हमसे न पूछो हिज्र के किस्से
अपनी कहो अब तुम कैसे हो?
'अज़ीज' तुम बदनाम बहुत हो
जैसे हो, फिर भी अच्छे हो
LOVE SHAYARI
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